राव जोधा (1453 – 1489 ई.)
- पिता - रणमल
- जन्म - 1 अप्रैल, 1416 उनके पिता राव रणमल उस समय मेवाड़ में थे ।
- मेवाड़ के शासन में इनका प्रभाव बहुत बढ़ जाने पर महाराणा कुम्भा ने रणमल को मेवाड़ में मरवा दिया था । इसकी सूचना जोधा को एक डोम ने निम्न प्रकार दी ।
चूंडा अजमल आविया, मांडू हूं धक आग ।
जोधा रणमल मारिया, भाग सके तो भाग ।।
- जोधा यह चुनकर भागकर अपने भाइयों सहित मारवाड़ पहुँच गया । तब राणा चूंडा (महाराणा लाखा का ज्येष्ठ पुत्र) ने जोधा का पीछा करते हुए मारवाड़ में प्रवेश कर मंडोर पर अधिकार कर लिया ।
- जोधा निराश होकर वर्त्तमान में बीकानेर के निकट काहनी गाँव में रहने लगे ।
- हडबुजी ने राव जोधा को एक घोड़ा तथा कटार दी तथा इनके आशीर्वाद से 1453 ई. में उसने मंडोर पर अधिकार कर लिया और उसे अपनी राजधानी बनाया ।
- राव जोधा हडबुजी को बैगटी गाँव (फलौदी) जागीर में देते है और राव जोधा अपना अंतिम समय यहीं व्यतीत करते है ।
- मंडोर के किले में राव जोधा जी का 1458 ई. में राज्याभिषेक किया गया ।
- इसी समय मंडोर के पास अपने नाम पर उन्होंने जोधेलाव तालाब बनवाया था ।
- जोधा ने अपनी पुत्री शृंगारदेवी का विवाह महाराणा कुम्भा के पुत्र रायमल से किया व मेवाड़ के साथ बैर को समाप्त किया । (यह उल्लेख घोसुण्डी गाँव की बावड़ी में लगी एक संस्कृत प्रशस्ति में है ।)
जोधपुर का गढ़ तथा नगर बसाना :- 12 मई, 1459 को जोधा ने चिड़ियाटूंक पहाड़ी पर नए गढ़ की नींव रखी ।
- गढ़ के नीचे अपने नाम पर जोधा ने नया नगर जोधपुर बसाया व मंडोर के स्थान पर उसे अपनी राजधानी बनाया ।
- राव जोधा के पुत्र बीका ने अपने चाचा कांधल और सांखला नापा आदि को साथ ले जांगलू की तरफ प्रस्थान किया और बीकानेर के स्वतंत्र राज्य की नींव डाली ।
- 6 अप्रैल, 1489 को जोधपुर में राव जोधा का स्वर्गवास हो गया ।
राव जोधा का मूल्याकंन -
- राव जोधा वीर तथा साहसी होने के साथ ही असाधारण धैर्यवान व्यक्ति था।
- उसके समय राज्य का काफी विस्तार हुआ ।
- राव जोधा को जोधपुर का पहला प्रतापी शासक कहा जा सकता है ।
· राव जोधा की एक रानी हाडी जसमा देवी ने किले के पास ‘रानीसागर’ नामक तालाब बनवाया और दूसरी रानी सोनागरी चाँद कुँवरी ने ‘चाँद बावड़ी’ बनवाई जो चौहान बावड़ी के नाम से प्रसिद्ध है ।
· राव जोधा ने 1459 में अपनी माता द्वारा बनाए गए कोडमदेसर तालाब की प्रतिष्ठा कर एक कीर्तिस्तम्भ स्थापित किया ।
· राव जोधा ने 1460 में मंडोर में चामुंडा की मूर्ति को मँगवाकर जोधपुर के किले में स्थापित किया । इनके पुत्र वरसिंह और दूदा ने मेड़ता नगर बसाया था ।
राव जोधा के उतराधिकारी -
रावजोधा के पांच पुत्र थे -
1. राव बीका
- 1465 में बीकानेर के राठौड़ वंश की स्थपना की ।
- 1488 में बीकानेर की स्थापना
2. राव वीरसिंह
3. राव सातलदेव (1489 - 92)
- राव जोधा के ज्येष्ठ पुत्र नीम्बा का देहान्त अपने पिता की जीवित दशा में ही हो चुका था और बीका ने अपने लिए जंगल देश में स्वतंत्र बड़ा राज्य कायम करके जोधपुर राज्य से स्वत्व त्याग दिया था, अतएव जोधा की मृत्यु पर 1489 में सातल का उसका उत्तराधिकारी बना ।
- राव सातल ने कुछ ही दिनों बाद पोकरण के निकट एक गढ़ का निर्माण कराया और अपने नाम पर उसका नाम सातलमेर रखा ।
- राव सातल का कोसाणा में मुसलमानों (अजमेर के शासक मल्लूखां के सेनापति) के साथ हुए युद्ध में 1 मार्च, 1492 को देहांत हो गया। कोसाणा के तालाब के निकट उसकी स्मारक छतरी बनी हुई है ।
4. राव सूजा (1492 - 1515)
- राव सूजा के काल में राव बीका जोधपुर पर आक्रमण करता है ।
5. राव दूदा
- राव दूदा मेड़ता में राठौड़ राजवंश की स्थापना करता है ।
- राव दूदा के पुत्र रतनसिंह थे जिनकी पुत्री मीराबाई थी ।
- मीराबाई का विवाह मेवाड़ महाराणा राणा सांगा के पुत्र भोजराज के साथ हुआ था ।
- भोजराज की मृत्यु विवाह के पश्चात हो जाती है फिर मीराबाई सगुण भक्ति का मार्ग अपनाते है ।
- वह सूजा के स्वर्गीय ज्येष्ठ पुत्र बाघा का दूसरा पुत्र था ।
- सूजा की मृत्यु के बाद 8 नवम्बर, 1515 को सरदारों ने उसे सिंहासन पर बैठाया ।
- गंगा स्वभाव का बड़ा नरम और सुशील था, उसकी सरलता से लाभ उठाकार उसके राज्यपाल में ही सरदारों ने अपना बल बढ़ा लिया था । और उनमें से अधिकाँश स्वतंत्र हो गए थे ।
- उसकी मृत्यु के समय उसके अधिकार में केवल जोधपुर और सोजत के दो परगने ही रह गए थे । उसका पुत्र मालदेव ने अपनी वीरता से विजय श्री का वरन किया था ।
- मालदेव के नेतृत्व में मारवाड़ की सेनाओं ने खानवा के युद्ध में भाग लिया । युद्ध में घायल राणा सांगा को मालदेव युद्ध क्षेत्र से सुरक्षित बचाकर ले जाने में सफल रहे थे । उन्होंने 9 मई, 1532 को अपने पिता राव गंगा की झ्रिके से धक्का देकर ह्त्या कर दी ।
- राव गंगा की सीसोदणी रानी उत्तमदे राणा सांगा की पुत्री थी । जोधपुर का पद्मसर तालाब इन्होने ने ही बनवाया था ।
- जोधपुर शहर का ‘गांगेलाब तालाब” और “गंगा की बावड़ी” राव गंगा ने ही बनवाई थी ।
- राव गंगाजी की रानी नानक देवी ने जोधपुर में अचलेश्वर महादेव का मंदिर बनवाया ।
0 टिप्पणियाँ